भुजङ्गप्रयातच्छन्दःt


लक्षणम्[सम्पादयतु]

भुजङ्गप्रयातं चतुर्भिर्यकारैः

यत्र प्रत्येकम् अपि पादे यगणचतुष्टयं भवति तत्र भुजङ्गप्रयातम् इति चिन्तनीयम् ।

उदाहरणम्[सम्पादयतु]

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे त्वया हिन्दु...................

भुजङ्गप्रयातम्।

प्रतिचरणम् अक्षरसङ्ख्या १२

भुजङ्गप्रयातं भवेद्यैश्चतुर्भि:।केदारभट्टकृत- वृत्तरत्नाकर:३. ५५

।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ ।ऽऽ

य य य य।

यति: पादान्ते।

उदाहरणम् -

यदा धर्मलोपो यदाधर्मवृद्धिस्तदा संसृजाम्यर्जुनाहं स्वमेव। सतां रक्षणायासतां नाशनाय पुनर्धर्मसंस्थापनार्थं तथैव॥

सम्बद्धाः लेखाः[सम्पादयतु]

  • छन्दः
  • छन्दश्शास्त्रम्
  • छन्दांसि
  • संस्कृतम्

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